क्या न्यूटन का पहला गति नियम गलत था? अब किया जा रहा ये दावा
आइज़क न्यूटन ने 17वीं सदी के आखिर में गति के नियम लिखे. लैटिन भाषा में लिखे गति के नियम के तीन सार्वभौमिक सिद्धांत हैं.
न्यूटन के गति के नियम ये बताते हैं कि ब्रह्मांड में वस्तुएं किस तरह से चलती हैं.
न्यूटन के पहले गति के नियम को लेकर अब दावा किया जा रहा है कि शायद हम ये नियम गलत समझते आए हैं.
अमेरिका के वर्जीनिया टेक में लैंग्वेज और मैथमेटिक्स के फिलॉसफर, डेनियल होक का कहना है कि हम न्यूटन के गति के प्रथम नियम की सटीक व्याख्या शायद थोड़ी गलत कर रहे थे.
उन्होंने न्यूटन की किताब 'लैटिन प्रिंसिपिया' के 1729 के मूल अंग्रेजी अनुवाद में 'गलत अनुवाद' की खोज का दावा किया है.
साल 1729 के इस अनुवाद के आधार पर तमाम शिक्षाविदों व शिक्षकों ने न्यूटन के जड़त्व के नियम को कुछ इस तरह से व्याख्या की कि कोई वस्तु तब तक स्थिर अवस्था में रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाहरी बन ना लगाया जाए.
रिकॉर्ड्स पर नजर डालने पर होक को इस बात का अहसास हुआ कि इस सामान्य व्याख्या में एक व्याख्या थी. जिसको 1999 में नजरअंदाज किया गया.
तब विद्वानों ने एक लैटिन शब्द 'क्वाटेनस' के अनुवाद को उठाया, जिसे अनदेखा कर दिया गया था. जिसका अर्थ है 'अब तक', न कि जब तक.
होक के मुताबिक, इससे सबकुछ बदल जाता है. यह बताने के बजाय कि अगर कोई वस्तु किसी बल के प्रभाव में ना आए वह अपनी गति कैसे बनाए रखती है.
होक के अनुसार, नई खोज से पता चलता है कि न्यूटन का मतलब था कि किसी पिंड की गति में हर बदलाव, हर छटका, ढलान, मोड़ और उछाल बाहरी बलों के कारण होता है.
होक ने 2022 के रिसर्च पेपर में अपनी खोज प्रकाशित की. उन्होंने हालिया ब्लॉग पोस्ट में फिर इस बारे में लिखा है.