जब शांत हो जाएंगे प्रज्ञान और विक्रम, तब काम आएगा NASA का ये उपकरण
चांद पर आने वाले दो-तीन दिनों में अंधेरा छा जाएगा और उसे सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी.
चंद्रयान-3 के हिस्से में नासा का उपकरण संपर्क खत्म हो जाने के बाद भी ऑर्बिट में घूम रहे सैटेलाइट के जरिए विक्रम की लोकेशन की जानकारी देता रहेगा.
विक्रम लैंडर में लगे इस उपकरण का नाम लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) है.
इस उपकरण को नासा ने बनाया है और इसको चंद्रयान-3 के पेलोड के साथ चंद्रमा पर भेजा गया है.
नासा ने चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे अंतरिक्ष यान लेजर से परावर्तित लेजर का उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है.
रेट्रोरिफ्लेक्टर उससे टकराने वाले किसी भी प्रकाश को सीधे स्रोत पर प्रतिबिंबित कर सकते हैं.
लैंडक विक्रम के मुख्य हिस्सों पर एलआरए के आठ गोलाकार 1.27-सेमी व्यास वाले कॉर्नर-क्यूब रेट्रोरिफ्लेक्टर लगाए गए हैं.
प्रत्येक रेट्रोरिफ्लेक्टर थोड़ी अलग दिशा में इंगित करता है, और प्रत्येक का अधिकतम उपयोगी लगभग +-20 डिग्री होता है.
एलआरए का कुल द्रव्यमान 20 ग्राम है, इसको चलाने के लिए किसी भी पावर सोर्स की जरूरत नहीं होती है.