वह कौन सा ग्रह, जहां होती है हीरे की बारिश, जानें कैसे होता है तैयार

धरती पर हीरे कहां से आए हैं यह आज भी रहस्य है. इसके बारे में अभी तक कुछ भी ठोस जानकारी नहीं है.

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर उल्कापिंड के साथ हीरे आए हैं, जबकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के गर्भ में हीरे का निर्माण हुआ है.

सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे सोलर सिस्टम में ऐसे ग्रह मौजूद हैं जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं.

नेपच्यून और यूरेनस ऐसे ग्रह हैं, जहां पर हीरे मौजूद हैं. 

धरती से नेपच्यून करीब 15 गुना बड़ा है, जबकि पृथ्वी से यूरेनस 17 गुना बड़ा है.

सबसे हैरानी वाली बात इनका आकार नहीं, बल्कि यहां पर होने वाली हीरे की बारिश है.

यूरेनस और नेपच्यून ग्रह पर बहुत अधिक मात्रा में मीथेन गैस मौजूद है. हम सभी जानते हैं कि मीथेन में हाइड्रोजन और कार्बन होते हैं.

जब नेपच्यून और यूरेनस पर मीथेन का दबाव पड़ता है, तो हाइड्रोजन और कार्बन के बॉन्ड टूटते हैं, जिसके बाद कार्बन हीरे में परिवर्तित हो जाता है. इसके बाद वहां पर हीरे की बारिश होती है. 

यह ग्रह धरती से बिल्कुल अलग हैं, क्योंकि यहां पर ऐसी स्थिति है कि धरती का कोई जीव नहीं पनप सकता है.

अगर यहां के तापमान की बात की जाए, तो वह शून्य से लगभग 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है.

इन ग्रहों पर मीथेन गैस बर्फ की तरह जमी रहती है और जब हवा चलती है तो बादलों की तरह उड़ती रहती है.