भारत के चंद्रयान-3 मिशन के कारण लोगों में चांद के खूब चर्चे हो रहे हैं

क्‍या आप जानते हैं कि चंद्रमा कभी पूरा तो कभी अधूरा क्यों दिखता है?

क्‍या होता यदि चंद्रमा होता ही नहीं, तब धरती पर क्या अलग होता?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद कोई ग्रह नहीं, बल्कि एक उपग्रह है. यह पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाता है

चंद्रमा पर खुद का कोई प्रकाश नहीं होता. इसकी रोशनी सूर्य से परावर्तित होकर पृथ्वी पर आती है

चांद हमारे पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, इस दौरान इसकी बदलती स्थिति से हमें भ्रम होता है कि चांद अपना अकार बदलता है

चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है

चंद्रमा सौरमंडल का पांचवां विशाल प्राकृतिक उपग्रह भी है

वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी और थीया ग्रह के बीच टकराव हुआ था, जिसके मलबे से चांद बना

सूर्य चांद से करीब 400 गुना बड़ा है, लेकिन पृथ्वी से दोनों लगभग समान आकार के दिखते हैं

सूर्य चांद के समान दिखने की वजह ये है कि सूर्य की तुलना में चांद पृथ्वी के ज्यादा करीब है

चंद्रमा का आकार एक अपूर्ण गोले जैसा है, दूर से देखने पर यह लगभग गोल दिखता है

करीब से देखने पर, चंद्रमा की सतह पहाड़ों, घाटियों और गड्ढों का 3डी व्यू देता है

पृथ्वी से, चंद्रमा की सूर्य की रोशनी वाली सतह पर पूरे महीने बदलती दिखाई देती है

इन्हें हम अर्धचंद्र, पूर्णिमा और अन्य चंद्र कलाओं के रूप में जानते हैं

जब पूरा चांद दिखाई देता है तो उसे पूर्णिमा कहते हैं