दरअसल, कलमा इस्लाम धर्म की एक अहम बुनियाद है. यह एक तरह की धार्मिक घोषणा या शपथ होती है, जो इस्लाम में प्रवेश करने के लिए अनिवार्य मानी जाती है
मुस्लिम समुदाय में कलमा को बचपन में ही तर्जुमा (मायने) के साथ सबको पढ़ा दिया जाता है. रोजाना की नमाज़ और दुआओं में भी इसका जिक्र किया जाता है.