क्या आप जानते हैं पूजा के दौरान कलाई पर धागा क्यों बांधा जाता है?
अक्सर पूजा-पाठ के दौरान कलाई पर धागा बांधा जाता है, जिसे रक्षा सूत्र कहते हैं.
शास्त्रों में महिला और पुरुष के लिए रक्षा सूत्र बांधने का अलग-अलग विधान बताया गया है.
विवाहित और अविवाहित पुरुष के दाहिने हाथ की कलाई पर लाल धागा बांधा जाता है. जबकि विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा जाता है.
मान्यता है कि पूजा-पाठ के दौरान बांधा जाने वाला धागा नकारात्मक विचारों को दूर कर पवित्रता को बढ़ाता है.
मान्यतानुसार, कलाई पर जिस जगह पवित्र धागा बांधा जाता है वहां पर मौजूद नस दबते हैं, जिससे शरीर में कफ, पित्त और वात रोग नियंत्रित रहते हैं.
शास्त्रों के अनुसार, अविवाहित लड़कियों के दाएं हाथ की कलाई पर और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर पूजा का धागा बांधा जाता है.
विवाह के बाद महिलाएं अपने पति की वामांगी हो जाती हैं यानी पुरुष का बायां अंग हो जाती हैं. इसलिए महिलाओं के बाएं हाथ की कलाई पर पवित्र धागा बांधा जाता है.
पूजा के दौरान धागा बंधवाते वक्त मुट्ठी में चावल (अक्षत) रखना चाहिए और मुट्ठी बंद कर लेनी चाहिए.
हथेली पर जब धागा बांध लिया जाता है तो हथेली के चावल को पीछे की ओर छोड़ देना चाहिए. साथ ही धागा बंधवाते वक्त अपना दूसरा हाथ सिर पर रख लेना चाहिए.