आखिर लंकापति रावण को नंदी ने क्यों दिया था श्राप, जानें वजह
दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है. इसलिए इसका नाम विजयादशमी पड़ा.
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है.
मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने सीता की रक्षा के लिए रावण का वध किया था.
रावण को पहला श्राप राजा अनरण्य ने दिया था. अपनी मृत्यु से पहले राजा अनरण्य ने रावण को श्राप दिया था कि मेरा ही वंश तुम्हारी मौत का कारण बनेगा.
रावण को दूसरा श्राप भगवान शिव के वाहन नंदी ने दिया था. नंदी ने रावण को श्राप दिया कि उसका सर्वनाश ही वानर के कारण होगा.
रावण को तीसरा श्राप उसकी पत्नी मंदोदरी की बड़ी बहन माया ने दिया था. दुख में डूबी माया ने क्रोधिक होकर रावण को श्राप दिया था कि एक दिन वासना के कारण ही उसकी मृत्यु होगी.
रावण को चौथा श्राप एक स्त्री ने दिया था. अपने अपमान के कारण उस स्त्री ने लंकापति रावण को श्राप दिया था कि उसकी मृत्यु का कारण एक स्त्री ही बनेगी.
लंकापति रावण को पांचवां श्राप उसके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर ने दिया था. नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था कि अगर वह किसी स्त्री को उसकी मर्जी के बिना छूने की कोशिश करेगा तो उसके सिर के 100 टुकड़े हो जाएंगे.
रावण को छठा श्राप उसकी बहन शूर्पनखा ने दिया था. रावण की बहन शूर्पनखा ने रावण को श्राप दिया था कि एक दिन उसके कारण ही लंकापति के पूरे कुल का सर्वनाश होगा.