क्या आप जानते हैं सबसे पहले क्यों होती है गणेशजी की पूजा
किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है. यहां तक की भगवान शिव की पूजा में भी पहले गणपति का आवाहन किया जाता है.
सनातन धर्म शास्त्रों में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा गया है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर सबसे पहले गणपति की पूजा क्यों की जाती है.
एक बार देवताओं के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि धरती पर सबसे पहले किसकी पूजा की जाएगी. सभी देवतागण खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने लगे.
तब नारदजी ने देवताओं को भगवान शिव के पास जाने को कहा, जिसके बाद सभी देवता शिवजी के पास पहुंचे. श्रेष्ठता को लेकर देवताओं के बीच के विवाद को सुलझाने के लिए शिवजी के सामने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.
शिवजी ने सभी देवताओं को कहा कि वे अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड का एक चक्कर लगाएं. शिवजी ने यह भी कहा कि जो भी ब्रह्मांड की पूरी परिक्रमा करके सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा, धरती पर उसकी पूजा सबसे पहले की जाएगी.
भगवान शिव के कहने पर सभी देवता अपने-अपने वाहन पर सवार होकर पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े. लेकिन, गणेशजी अपने वाहन मूषक पर सवार नहीं हुए.
भगवान गणेश ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के बजाए अपने माता-पिता के चारों ओर परिक्रमा करने लगे. उन्होंने अपने माता-पिता की 7 बार परिक्रमा की और हाथ जोड़कर खड़े हो गए.
जब सभी देवता ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के बाद भगवान शिव के पास पहुंचे तो वहां गणेशजी को खड़ा पाया. भगवान शिव ने गणेश जी को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया.
यह जानकर सभी देवता आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा कैसे हो गया कि जो पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए हैं उन्हें छोड़कर गणेशजी को विजेता घोषित कर दिया गया.
तब भगवान शिव ने बताया कि पूरे ब्रह्मांड में माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है और गणेशजी ने अपने माता-पिता परिक्रमा की है, इसलिए सभी देवताओं में पूजनीय हैं. कहते हैं कि तभी से भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है.