देश में गणेश में धूमधाम से गणेश महोत्सव मनाया जा रहा है. चारों ओर गणपति के जयकारे की गूंज है.
गणपति उत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू हो जाता है और अनंत चतुर्दशी तक चलता है. अनंत चतुर्दशी के दिन ही 10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन होता है.
बैठे हुए गणपति
मान्यतानुसार, अगर घर में बैठे हुए गणपति की स्थापना कर उनकी विधि-विधान से पूजा की जाए तो सुख-शांति बनी रहती है. माना जाता है कि बैठे हुए गणपति घर के लिए बेहद शुभ हैं.
बाईं सूंड वाले गणपति
बाईं सूंड वाले गणपति वक्रतुंड और वाममुखी कहलाते हैं. बाईं तरफ सूंड वाले गणपति में चंद्रमा का वास माना गया है. बाईं सूंड वाले गणेश जी गृहस्थ जीवन के लिए काफी शुभ होता है. गणपति की ऐसी प्रतिमा को घर में स्थापित करने से सारी परेशानियां खत्म होती हैं.
दाईं सूंड वाले गणपति
दाईं तरफ सूंड वाले गणपति को सिद्धि विनायक और दक्षिणाभिमुखी कहा जाता है. गणपित की ऐसी प्रतिमा को घर में स्थापित करने से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है.
नृत्य मुद्रा वाले गणपति
नृत्य मुद्रा वाले गणपति काफी शुभ माने जाते हैं. गणपति की ऐसी मूर्ति को घर में स्थापित करने से सुख-आनंद और कला में सफलता मिलती है.
लेटी हुई अवस्था में गणपति
लेटी हुई अवस्था में गणपति की प्रतिमा बेहद शुभ माने गए हैं. मान्यता है कि इस प्रतिमा को घर में स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
चूहे पर खड़े गणपति
चूहे पर खड़े गणपति को गणराज भी कहा जाता है. गणेशजी की ऐसी प्रतिमा को साहस का प्रतीक कहा गया है. मान्यता है कि घर में इस प्रतिमा को स्थापित करने से जिम्मेदारियां उठाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है.