आखिर किस वजह से भगवान गणेश को नहीं चढ़ाते हैं तुलसी? 

हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान गणेश और तुलसी से जुड़ी एक कथा का वर्णन किया गया है. मान्यतानुसार, तुलसी राजा धर्मात्मज की पुत्री हैं.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार तुलसी ने गणेशजी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा क्योंकि वो गणेशजी को अपना जीवनसाथी बनाना चाहती थीं.

भगवान गणेश ने तुलसी के विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. जिसके बाद तुलसी ने गुस्सा होकर गणेश जी को श्राप दे दिया कि उनकी दो पत्नियां होंगी. 

कहते हैं कि तुलसी के श्राप के जवाब में भगवान गणेश ने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि एक असुर उनका जीवनसाथी बनेगा. 

बाद में गणेशजी का विवाह ब्रह्माजी की पुत्री ऋद्धि-सिद्धि से हुआ. जबकि तुलसी का विवाह शंखचूड़ नामक असुर से हो गया.

कहा जाता है कि भगवान गणेश ने तुलसी को श्राप दिया था इसलिए उनकी पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

गणेश जी को दूर्वा चढ़ाते हैं जबकि उन्हें तुलसी चढ़ाना निषेध है. इसके पिछे एक वजह यह भी बताया जाता है कि दोनों के गुण एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं.

दूर्वा शरीर की गर्मी को शांत करता है, जबकि तुलसी शरीर में गर्मी बढ़ाती है. गणेशजी को ऐसी चीजें चढ़ाई जाती हैं जो शरीर की गर्मी को शांत करती हैं.