हिंदू धर्म में जितने भी देवी देवता हैं, उनका अपना एक वाहन है. जिस प्रकार आदिशक्ति जगदंबा यानी मां दुर्गा का वाहन शेर है, उसी तक प्रथम पूज्य भगवान गणेश का वाहन चूहा है.
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि आखिर एक चूहा भगवान गणेश का वाहन कैसे बना? चलिए जानते हैं कि एक चूहा क्यों और कैसे भगवान गणेश का वाहन बना.
पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्र के दरबार में क्रौंच नामक का एक गंधर्व रहता था जो अक्सर अप्सराओं के संग हंसी-मजाक करता था.
एक बार राजा इंद्र को क्रौंच पर गुस्सा आ गया. जिसके बाद इंद्र ने क्रौंच को चूहा बनने का श्राप दे दिया.
जिसके बाद वह चूहा बनकर पराशर ऋषि के आश्रम में जा गिया. जिसके बाद वह चूहा वहां उत्पात मचाने लगा.
चूहे की तबाही से परेशान होकर पराशर समेत दूसरे ऋषि पर सोच में पड़ गए कि आखिर चूहे के आतंक से कैसे निपटा जाए.
तब पराशर ऋषि भगवान गणेश की शरण में गए और उनसे इस परेशानियों के मुक्ति पाने का उपाय जाना.
जिसके बाद भगवान गणेश ने अपना पाश फेंककर उस शक्तिशाली चूहे को गले को बांधकर सबसे सामने प्रकट किया.
चूहे के गले में बंधा भगवान गणेश का पाश इतना मजबूत था कि मूषक कुछ समय के लिए मूर्छित हो गया.
होश में आने के बाद मूषक ने भगवान गणेश की उपासना शुरू कर दी और अपने जीवन के लिए प्रार्थना करने लगा.
मूषक की प्रार्थना को सुनकर भगवान गणेश हमेशा के लिए चूहा को अपना वाहन बना लिए.