सुदर्शन चक्र से लेकर मोर पंख तक श्रीकृष्ण के पास हमेशा रहे ये 6 उपहार
बांसुरी
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, गोकुल में नंदबाबा ने श्रीकृष्ण को बांसुरी भेंट की थी. उस वक्त श्रीकृष्ण की अवस्था तीन-चार साल की थी.
कहा जाता है कि बांसुरी श्रीकृष्ण का बसे प्यारा खिलौना बन गया. यह बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा रहती थी.
वैजयंती माला
श्रीकृष्ण ने जब पहली बार रासलीला खेली थी, तब राधा ने उन्हें वैजयंती माला पहनाई थी. कहते हैं कि उस वक्त उनकी उम्र 8-10 साल थी. वैजयंती माला यानी विजय दिलाने वाली माला.
मोरपंखपुराणों के अनुसार, जब श्री कृष्ण आठ-दस साल के थे तो रासलीला के लिए वृंदावन गए. यहीं पहली बार राधा ने मुकुट पर मोरपंख लगाया था. श्रीकृष्ण ने स्त्री के इस सृजन को हमेशा के लिए मस्तक पर जगह दी.
अजितंजय धनुष
कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण 10-12 साल के थे तो उस वक्त वे अपने गुरु सांदीपनि ऋषि के आश्रम में पढ़ते थे. एक बार गुरु के पुत्र का शंखासुर ने अपहरण कर लिया था. तब कृष्ण ने उसे बचाकर लाए तो गुरु सांदीपनि ऋषि ने उन्हें अजितंजय धनुष भेंट कर दिया.
जब भगवान श्रीकृष्ण पीपल के नीचे विश्राम कर रहे थे तभी वहां एक बहेलिया शिकार करने के लिए पहुंचा.
पांचजन्य शंख
श्रीकृष्ण जब उज्जैन में अपने गुरु सांदीपनि ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उस दौरान शंखासुर के वध से उन्हें शंख मिला, जिसे सांदीपनि ऋषि ने पांचजन्य नाम दिया.
सुदर्शन चक्र
कहते हैं कि कृष्ण जब 12-13 साल थे, तब परशुराम से मिलने उनकी जन्मस्थली जानापाव (इंदौर) गए थे. वहां परशुराम ने कृष्ण को उपहार में सुदर्शन चक्र दिया.
कहा जाता है कि भगवान शिव ने सुदर्शन चक्र त्रिपुरासुर वध के लिए बनाया था और विष्णु को दे दिया था. कृष्ण के पास आने के बाद यह उनके पास ही रहा.