कार्तिक मास में तुलसी से जुड़े इन नियमों को भूलकर भी ना करें नजरअंदाज
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुरुआत हो चुकी है. इस पवित्र मास को धर्म-कर्म के लिए अच्छा माना गया है.
कार्तिक मास में तुलसी से जुड़े कुछ विशेष नियमों का शास्त्रों में जिक्र मिलता है. कार्तिक मास में तुलसी की पूजा का खास धार्मिक महत्व है.
पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास में तुलसी माता का जन्म हुआ था. इसलिए पूरे कार्तिक मास में तुलसी की पूजा का विधान है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक का महीना 17 सितंबर से शुरू हो चुका है, जिसका समापन 15 नवंबर को होगा.
कार्तिक मास के दौरान प्रतिदिन जल में काले तिल मिलाकर तुलसी में अर्पित करना चाहिए. सबसे पहले सूर्य को जल अर्पित करें और उसके बाद तुलसी में जल दें.
धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास में रोजाना शाम के वक्त तुलसी के नीचे एक दीया जरूर जलाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना गया है.
कार्तिक मास में तुलसी में जल देने के अलावा तुलसी माता को सुहाग की सामग्रियां अर्पित करनी चाहिए.
कार्तिक मास में तुलसी में सिंदूर और कुमकुम अर्पित करना भी शुभ माना गया है.
कार्तिक मास में तुलसी की पूजा के बाद उसकी कम के कम तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.