एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां शिव के साथ होती है मां पार्वती की पूजा
देश में 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, जहां सावन मास में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग ऐसा है जहां शिवजी के साथ-साथ माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है.
मल्लिाकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा है. यह आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित है.
मल्लिाकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है.
मान्यतानुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है.
पुराणों के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में संयुक्त रूप से दिव्य ज्योति विद्यमान हैं.
कहते हैं कि भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय एक बार किसी बार किसी बात से नाराज होकर क्रौंच पर्वत पर चले गए.
कार्तिकेय को वापस बुलाने के लिए देवी-देवताओं ने बहुत आग्रह किया लेकिन वो नहीं माने.
दूसरी ओर पुत्र वियोग में भगवान शिव और माता पार्वती दोनों दुखी थे.
जब भगवान शिव और पार्वती कार्तिकेय से मिलने के लिए क्रौंच पर्वत पर पहुंते तो वे उन्हें देखकर और दूर चले गए.
तब भगवान शिव ने ज्योति रूप धारण कर लिया और वहीं विराजमान हो गए.
कहा जाता है कि तब से यह शिवधाम मल्लिाकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हो गया.
पौराणिक मान्यता है कि प्रत्येक अमावस्या पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर में माता पार्वती और भगवान शिव पधारते हैं.