ये हैं भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से जुड़े 10 रोचक तथ्य

इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 7 जुलाई को निकाली जाएगी. चलिए जानते हैं रथ यात्रा से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में.

रथ यात्रा में शामिल सभी रथों को नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल व पीला होता है. 

भगवान जगन्नाथ के रथ को कपिलध्वज, गरुड़ ध्वज और नंदीघोष के नाम से पुकारा जाता है. जबकि रथ के घोडों के नाम- शंख, श्वेत, बलाहक और हरिद्वाश हैं. 

भगवान जगन्नाथ के रथ के सारथी को दारुक कहा जाता है. साथ ही रथ पर नृसिंह और हनुमान जी का प्रतीक होता है.

भगवान जगन्नाथ के रथ पर मौजूद सुदर्शन स्तंभ रक्षा का प्रतीक माना जाता है. इस रथ के रक्षक भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ महराज होते हैं. 

भगवान जगन्नाथ के रथ पर लगे ध्वज यानी झंडा को त्रैलोक्यवाहिनी कहा जाता है. भगवान जगन्नाथ के रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है उसे शंखचूड़ कहते हैं.

भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए होते हैं जिनकी उंचाई 16 मीटर होती है. रथ को ढकने के लिए तकरीबन 1100 मीटर की लंबाई के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है.

रथ यात्रा में शामिल बलराम जी के रथ को तालध्वज कहा जाता है. इनके रथ पर शिवजी का प्रतीक होता है. इस रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मातली होते हैं.

रथ यात्रा में मौजूद सुभद्रा के रथ को देवदलन कहा जाता है. इस रथ पर मां दुर्गा का प्रतीक होता है. सुभद्रा के रथ रक्षक जयदुर्गा और सारथी अर्जुन होते हैं.

रथ यात्रा में शामिल भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम के रथों में लगाए गए घोड़ों का रंग क्रमशः सफेद, कॉफी कलर और नीला होता है.