Sawan 2024: आखिर किसके श्राप की वजह से शिवजी को नहीं चढ़ाई जाती तुलसी?
शिवजी को प्रिय सावन का पवित्र 22 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. सावन के महीने में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए भक्त शिवलिंग पर अनेक पूजन सामग्रियां अर्पित करते हैं.
मान्यतानुसार, शिवजी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल निषेध है. कहा जाता है कि एक श्राप की वजह से तुलसी, शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है.
धर्म शास्त्रों के अनुसार तुलसी भगवान शिव को इसलिए अर्पित नहीं की जाती क्योंकि वह श्रापित है.
पूर्वजन्म में तुलसी का नाम वृदा था, जो कि जलंधर नामक राक्षस की पत्नी थी. जबकि, जलंधर भगवान शिव का अंश था.
कहा जाता है कि बुरे कर्मों की वजह से जलंधर का जन्म राक्षस कुल में हुआ था.
जालंधर की पत्नी वृंदा, धर्मनिष्ठ और पतिव्रता थी. वृंदा के प्रताप से ही राक्षस जलंधर सुरक्षित रहता था.
राक्षस जलंधर का जब अत्याचार बढ़ गया तो शिवजी के साथ उसका युद्ध हुआ. युद्ध में ही वह हार नहीं रहा था.
युद्ध में जब जलंधर नहीं हारा तो शिवजी ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे वृंदा के पवित्रता को भंग कर दें.
भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के प्रतिव्रता धर्म को भंग कर दिया.
जब वृंदा को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया.
वृंदा के श्राप से नाराज होकर भगवान विष्णु ने कहा कि वे राक्षस से उसका बचाव कर रहे थे. तब उन्होंने वृंदा को श्राप दिया कि वो लकड़ी बन जाएं.
कहा जाता है कि भगवान विष्णु के श्राप की वजह से ही बाद में वृंदा तुलसी बनी.