Sawan 2024: शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं जल और बेलपत्र

सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. शिवजी को प्रिय सावन मास में शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं. 

लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिर शिवलिंग पर जल और बेलपत्र क्यों चढ़ाए जाते हैं. 

चलिए, इस वेबस्टोरी में आपको बताते हैं कि शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने के पीछे क्या वजह है.

शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा का कनेक्शन समुद्र मंथन से है. 

पौराणिक काल में देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन हुआ था. समुद्र मंथन सावन में हुआ था.

समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले विष निकला था, उस हलाहल विष को सबसे पहले भगवान शिव ने अपने कंठ में समा लिया.

हलाहल विष की वजह से सृष्टि का अस्तित्व खतरे में पड़ गया. सृष्टि की सुरक्षा के लिए शिवजी ने ये विष पी लिया.

विष को गले में धारण करने की वजह से भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया. इसलिए, वे नीलकंठ कहलाए.

हलाहल विष की वजह से भगवान शंकर के शरीर में गर्मी बढ़ गई. 

विष की गर्मी को खत्म करने के लिए भगवान शिव को भगवान शिव को बेलपत्र बेलपत्र खिलाए गए और उन्हें ठंढ़ा जल चढ़ाया गया.

यही वजह है कि आज भी सावन के महीने में शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है.