मंदिर के गर्भगृह के ऊपर कलश और ध्वज का क्या है रहस्य, जानिए
हर मंदिर के गर्भगृह के ऊपर शिखर बना होता है. जो भक्त मंदिर के गर्भगृह के दर्शन नहीं कर पाते वे दूर से ही शिखर पर लगे ध्वज और कलश को प्रणाम कर लेते हैं.
प्रचीन काल से ही मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ध्वज और कलश स्थापित किया जाता रहा है. यह परंपरा आज भी कायम है.
पौराणिक काल में भी मंदिरों के गर्भगृह के ऊपर नुकीला शिखर बनाया जाता था. हालांकि, ऐसा आकार रखने के पीछे खास वजह है.
मंदिर के ऊपर बना नुकीला शिखर मंदिर की एनर्जी को एकसाथ केंद्रित करने में मदद करता है. जिससे ब्रह्मांड की ऊर्जा एक जगह एकत्रित होती है.
जब मंदिर में मंत्रों का उच्चारण किया जाता है तो उसकी आवाज गूंजती है.
मंत्रों की ध्वनि गर्भगृह के छत से टककारे के बाद पूरे परिसर में घूमती है और वापस उसके पास पहुंचती है, जो मंदिर में मंत्रों का उच्चारण करता है.
जिसकी वजह से प्रर्थानाओं की ऊर्जा कई गुना अधिक बढ़ जाती है. जिसके भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव होता है.
मंदिर के शिखर को लेकर मान्यता है कि यह एंटीना की तरह मंदिर की ऊर्जा और ब्रह्मांड की एनर्जी को जोड़ने का काम करता है.
मंदिर के शिखर पर आंधी-तूफान, बारिश और बिजली का भी असर कम होता है, जिससे मंदिर सुरक्षित रहता है.