शनि जयंती पर ना करें ये काम, शुरू हो जाएगा बुरा समय!

शनि जयंती पर शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का इस्तमाल करने से बचना चाहिए. ज्योतिष में तांबे का संबंध सूर्य से बताया गया है और पिता होने के बावजूद सूर्य देव अपने पुत्र से शत्रुता का भाव रखते हैं. इसलिए शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा के दौरान उनकी आंखों में भूलकर भी नहीं देखना चाहिए. मान्यता है कि जो कोई शनि से नजर मिलाता है उसे उनकी वक्र दृष्टि का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में शनि की वक्र दृष्टि से बचने के लिए ऐसा करने से बचें. 

जिस प्रकार अन्य देवी-देवताओं की पूजा में दिशाओं का खास ख्याल रखा जाता है, उसी तरह शनि देव की पूजा में भी दिशाओं से जुड़े खास नियमों का पालन करना जरूरी है. आमतौर पर देवी-देवताओं की पूजा पूरब दिशा की ओर मुंह करके की जाती है, लेकिन शनि देव की पूजा के दौरान अपना मुंख पश्चिम दिशा की ओर रखें.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि जयंती के दिन लोहे से निर्मित चीजों को खरीदकर घर में नहीं लाना चाहिए. शनि जयंती के दिन लोहे से बनी किसी भी चीज को खरीदकर घर में ना लाएं. दरअसल माना जाता है कि ऐसा करने से शनि महराज क्रोधित हो जाते हैं.

शनि जंयती के दिन पवित्र पौधे जैसे- तुलसी, पीपल, बेलपत्र और दूर्वा (घास) इत्यादि के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से शनि के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है. यानी शनि का प्रकोप आपको घेर सकता है.

शनि देव की गरीबों का रक्षक माना गया है. ऐसे में शनि जयंती के दिन गरीब और असहाय लोगों को भूलकर भी नहीं सताना चाहिए. इसके अलावा इस दिन झूठ बोलने या गुस्सा करने से भी बचना चाहिए. इतना ही नहीं इस दिन किसी का पैसा नहीं रखना चाहिए. 

 शनि देव की कृपा पाने के लिए और शनि दोषों से छुटकारा पाने के लिए शनि जयंती बेहद खास मानी गई है. इस बार शनि जयंती गुरुवार 6 जून को मनाई जाएगी.

ज्योतिष शास्त्र में शनि को छाया ग्रह माना गया है. शनि की साढ़ेसाती हो या ढैय्या या फिर महादशा या अंतर्दशा इस दौरान किसी भी व्यक्ति को बहुत कष्टों से गुजरना होता है.

ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबिक, इस बार शनि जयंती पर खास संयोग बनने जा रहा है.