चाणक्य नीति-श्लोक धर्म धनं च धान्यं च गुरोर्वचनमौषधम्। सुगृहीतं च कत्र्तव्यमन्यथा तु न जीवति।।
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि धर्म से जुड़ी गलतियां होने पर व्यक्ति को उसका फल नहीं मिलता है. जिसकी वजह से लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे धार्मिक कार्यों में किए जाने वाले मंत्रों के उच्चारण का खास ख्याल रखना चाहिए.