मंगलकामना के लिए इस उंगली से लगाया जाता है माथे पर 'तिलक'
माथे पर तिलक लगाने का खास धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है. सनातन धर्म में तिलक देवी-देवताओं का प्रसाद माना गया है.
माथे पर लगाया जाने वाला तिलक मांगलिक प्रतीक है, बल्कि सनातन धार्मिक परंपरा को भी प्रदर्शित करता है.
तिलक लगाने के लिए दाहिने हाथ की उंगलियों का इस्तेमाल किया जाता है. जिनके अलग-अलग महत्व हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अंगूठे का संबंध शुक्र ग्रह से है. शुक्र को यश और समृद्धि, धन-वैभव का कारक माना गया है.
रक्षा बंधन और भाई दूज जैसे पवित्र त्योहारों में बहने अपने भाई के माथे पर विजयी की कामना हेतु अंगूठे से तिलक लगाती हैं.
तर्जनी उंगली (अंगूठे के पास वाली) के सिर्फ मरे हुए व्यक्ति को तिलक लगाया जाता है. ताकि, मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्त हो सके.
मध्यमा (बीच वाली) उंगली का संबंध शनि ग्रह से है. मध्यमा उंगली का इस्तेमाल खुद के माथे पर तिलक लगाने के लिए करना चाहिए.
रोजना की पूजा में अनामिका उंगली से भगवान को तिलक लगाने के बाद मध्यमा उंगली से खुद को तिलक लगा सकते हैं.
अनामिका, मध्यमा और कनिष्ठा उंगली के बीच होती है. इस उंगली का इस्तेमाल भगवान, गुरु या किसी अन्य व्यक्ति की मंगल कामना के लिए तिलक लगाने हेतु किया जाता है.
इसका संबंध सूर्य ग्रह से है. अनामिका उंगली से तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जाग्रित होता है.
कनिष्ठा (सबसे छोटी) उंगली का इस्तेमाल तिलक लगाने के लिए नहीं करना चाहिए. किसी शुभ कार्य में भी तिलक लगाने के लिए इस उंगली का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इस उंगली का संबंध बुध ग्रह से है.