लंका जलाने के बाद हनुमान जी ने कहां बुझाई थी अपनी पूंछ की आग? क्या आपको है पता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने रावण को मजा चखाने के लिए पूरी लंका में आग लगा थी. 

लंका को जलाने के बाद हनुमान जी ने समुद्र में छलांग लगाकर अपनी पूंछ की आग बुझाई थी.

पूंछ की आग बुझने के बाद भी हनुमान जी को बहुत जलन महसूस हो रही थी.

तब हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम से विनती की. जिसके बाद श्रीराम ने उन्हें चित्रकूट पर्वत पर जाने को कहा.

प्रभु श्रीराम के कहने पर चित्रकूट पर्वत पर गए, जहां वो विंघ्य पर्वत पर बैठकर 1008 बार राम रक्षा स्तोत्र का पाठ किया.

हनुमान जी के ऐसा करने पर पर्वत के ऊपर से एक जलधारा निकली. 

कहते हैं कि इस पर्वत से निकली अमृत समान जलधारा से हनुमान जी ने अपनी पूंछ की आग बुझाकर कष्टों से मुक्ति पायी.

कहा जाता है कि चित्रकूट के विंध्य पर्वत से आज भी जलधारा लगातार निकल रही है. जिसको हनुमान धारा कहा जाता है.