पौराणिक ग्रंथों में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार कहा गया है. ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी कलयुग में भी धरती पर विराजमान हैं.
कहा जाता है कि अमरता का वरदान पाकर हनुमान जी आज भी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं. यह पर्वत कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है.
अक्सर लोगों के मन में ऐसी जिज्ञासा रहती है कि आखिर हनुमान जी को अमरता का वरदान किसने और क्यों दिया था.
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, हनुमान जी को कई देवी-देवताओं ने वरदान दिए थे.
बजरंगबली को भगवान शिव, सूर्य देव और यमराज के अलावा माता सीता ने भी वरदान दिया था.
हनुमान जी को भगवान शिव से ऐसा वरदान प्राप्त था कि उन्हें कोई भी शस्त्र से मार नहीं सकता.
यमराज ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि वे कभी यम का शिकार नहीं हो पाएंगे.
पौराणिक मान्यता है कि सूर्य देव ने हनुमान जी को वरदान स्वरूप अपना सौवां अंश तेज दिया था.
शास्त्र और पुराणों के मुताबिक, हनुमान जी को अमरता का वरदान माता सीता ने दिया था.
जब हनुमान जी सीता माता की पता लगाने के लिए रावण की लंका पहुंचे और अशोक वाटिका में उनकी मुलाकात माता जानकी से हुई तब माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था.