सूर्य देव के रथ में 7 घोड़े ही क्यों? 9 या 11 क्यों नहीं, ये है रहस्य
सनातन धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा गया है. पौराणिक काल से लेकर अब तक सूर्य की पूजा होती आ रही है. नौ ग्रहों में सूर्य को राजा कहा गया है.
कहते हैं सूर्य देव अपने रथ पर सवार होकर रोजाना पूर्व दिशा में उदित होते हैं. सूर्य देव के रथ में 7 घोड़े हैं, जिसका जिक्र वेदों में भी किया गया है.
ऋगवेद में जिक्र है- 'सप्तयुज्जंति रथमेकचक्रमेको अश्वोवहति सप्तनामाः' अर्थात् सूर्य देव चक्र वाले रथ पर सवार हैं और उस रथ को सात घोड़े खींचते हैं.
सूर्य देव के रथ को खींचने वाले घोड़े के नाम भी अलग-अलग हैं. सूर्य देव के रथ को जो घोड़े खींचते हैं उनके नाम- गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं.
भगवान सूर्य के रथ को खींचने वाले 7 घोड़ों के नाम से संस्कृत में 7 छंद हैं. यही सात छंद घोड़े के रूप में सूर्य देव के रथ को आगे ले जाने में सहायक हैं.
हिंदू धर्म में संख्या 7 का खास धार्मिक महत्व है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सूर्य की रोशनी में 7 रंग होते हैं. वहीं, इंद्रधनुष का रंग भी 7 ही होता है.
सूर्य देव के रथ को खींचने वाले 7 घोड़े रोशनी के इन्हीं सात रंगों के प्रतीक हैं.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव के रथ के 7 घोड़े का संबंध सप्ताह के सात दिनों से है.
भगवान सूर्य के रथ के सारथी अरुण देव हैं जो कि भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के भाई हैं.