हज में शैतान को पत्थर क्यों मारते है मुसलमान? वजह कर देगी हैरान
सभी धर्मों के अपने-अपने रीति-रिवाज और मान्यताएं होती हैं.
सभी धर्मों में अलग-अलग पद्धतियों से पूजा करने और ईश्वर के साथ जुड़ने के तरीके होते हैं. जिन्हें लोग पूरी शिद्दत के साथ मानते हैं और अपने आराध्य की आराधना करते हैं.
इसी तरह से मुसलमानों में हज करना भी शामिल है.
हज पर जाने वाले मुसलमानों को कुछ नियमों और तौर तरीकों का पालन करना पड़ता है. जैसे हज पर जाने वाले मुसलमान सफेद कपड़े पहनते हैं. हज करने के बाद सिर को मुंडवाना होता है.
हज में मुसलमान 7 रस्मों को निभाते हैं. जिसमें शैतान को पत्थर मारना भी शामिल है. ये रस्म रमीजमारात में 3 दिनों तक होती है. वहां पर तीन बड़े खंभे बने हैं, जिनपर पत्थर मारना होता है.
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इब्राहिम अलैहिस्सलाम जब अपने बेटे इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी देने जा रहे थे तो शैतान उन्हें बहकाने की कोशिश कर रहा था. इसी के चलते शैतान पत्थर मारा जाता है.
इसके अलावा इहराम बांधना, काबा का तवाफ करना, चौथा सफा और मरवा की रस्म होती है. शैतान को पत्थर मारना पांचवीं रस्म होती है.
छठी रस्म में जानवर की कुर्बानी दी जाती है और सातवीं रस्म में हज करने वाला व्यक्ति अपना सिर मुंडवाता है.