अंतिम संस्कार के बाद लौटते वक्त पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखते?

अक्सर आपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि मृतक का अंतिम संस्कार करने के बाद वापस लौटते वक्त पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए. 

मगर, क्या आप जानते हैं कि अंतिम संस्कार के बाद लौटते वक्त पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखा जाता है? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं.

दाह संस्कार के बाद श्मशान के लौटते वक्त पीछे मुड़कर नहीं देखा जाता है. इस बात का जिक्र गरुड़ पुराण में भी किया गया है. 

गरुड़ पुराण के मुताबिक, मरणोपरांत आत्मा देह छोड़ देती है और अंतिम संस्कार के बाद मृतक का शरीर भस्म हो जाता है. 

गुरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा का अस्तित्व खत्म नहीं होता है. इस बारे में गीता में भी उल्लेख किया गया है-'अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे'. 

गीता के इस श्लोक का भावार्थ है कि आत्मा नित्य और शास्वत है. शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता.

जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो श्मशान घाट में उसके शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है.

अंतिम संस्कार के बाद आत्मा दूसरे लोक में चली जाती है, ऐसा गरुड़ पुराण में कहा गया है.

गरुड़ पुराण में इस बात का भी जिक्र है कि मृत्यु के बाद आत्मा अपने अंतिम संस्कार की सभी क्रियाकलापों को देखती है. 

अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट में मृतक के परिजन भी मौजूद होते हैं और उनके प्रति उनका मोह भी रहता है. 

दाह संस्कार के बाद जब कोई पीछे मुड़कर देखता है तो परिजनों के मोह की वजह से आत्मा को परलोक जाने में परेशानी होती है. 

यही वजह कि अंतिम संस्कार के बाद पीछे मुड़कर देखने के लिए मना किया जाता है.