56 भोग के बाद भगवान जगन्नाथ को क्यों लगाते हैं नीम चूर्ण का भोग

वैसे तो सब जानते हैं भगवान जगन्नाथ को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं.

भगवान जगन्नाथ को 56 प्रकार के भोग को लगाने के बाद उन्हें नीम-चूर्ण का भी भोग लगाने की परंपरा है. 

भगवान जगन्नाथ को नीम के चूर्ण का भोग लगाने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख किया गया है.

पौराणिक कथा के अनुसार, पुरी के जगन्नाथ मंदिर के पास एक महिला रहती थी, जो भगवान को अपना पुत्र मानती थी. 

वह महिला रोज भगवान को 56 प्रकार के भोग लगाते देखती थी. 

एक दिन उस महिला के मन में विचार आया कि इतना सारा भोजन करने के बाद मेरे बेटे के पेट में दर्द हो जाएगा.

ऐसे में वह तुरंत भगवान जगन्नाथ के लिए नीम का चूर्ण बनाकर उन्हें खिलाने के लिए मंदिर पहुंच गई. 

मंदिर के द्वार पर खड़े सैनिकों ने महिला के हाथ से नीम का चूर्ण लेकर फेंक दिया. 

महिला को इस बात का दुख हुआ कि वह अपने पुत्र को नीम का चूर्ण नहीं खिला सकी. 

इधर भगवान भक्त रूपी इस माता का कष्ट सहन नहीं कर सके और उन्होंने उस रात राजा के स्वप्न में आए. 

कहते हैं कि भगवान ने राजा को स्वप्न में बताया कि किस प्रकार उनके भक्त का सैनिकों ने अपमान किया. 

सपने में भगवान जगन्नाथ की बातों को सुनकर राजा उस महिला के घर गए और उससे मांफी मांगी.

राजा के मांफी मांगने पर महिला ने दोबारा नीम के चूर्ण का भोग भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया. 

कहते हैं कि तभी से भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाने के बाद नीम के चूर्ण का भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है.