गणेश चतुर्थी के चांद को देखना क्यों माना जाता है अशुभ
भाद्रपद यानी भादो मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी को बेहद खास माना गया है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्म हुआ था.
10 दिन तक चलने वाला गणेश उत्सव इस साल 7 सितंबर 2024 से शुरू हो रहा है. जबकि गणेश उत्सव का समापन 17 सितंबर को यानी अनंत चतुर्दशी के दिन होगा.
कहते हैं कि भगवान गणेश की पूजा-उपासना से हर प्रकार विघ्न और संकट खत्म हो जाते हैं. इसके अलावा गणपति की उपासना के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए. कहा जाता है इस दिन चांद को देखने से जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
मान्यता है कि भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रमा के दर्शन करने से कलंक (झूठा आरोप) लगता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण पर स्मयंतक नामक कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था.
जिसके बाद नारद जी ने बताया कि श्रीकृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा.
नारद ऋषि ने श्रीकृष्ण को आगे बताया कि भगवान गणेश ने एक बार चंद्र देव को श्राप दिया था कि जो कोई भाद्रपद मास की चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जाएगा.
अगर गणेश चतुर्थी के दिन ना चाहते हुए चंद्रमा के दर्शन हो जाए तो 'सिहः प्रसेनमवधीत सिंहो जाम्बवता हतः, सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः' इस मंत्र का 21 बार जाप करना चाहिए.