सनातन धर्म में स्वास्तिक को शुभता से जोड़कर देखा गया है. यही वजह है कि इस शुभ चिह्न को शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है.
मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाने की परंपरा सदियों से रही है. जिसका आज भी पालन किया जाता है.