भारतीय क्रिकेट के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में से एक बुची बाबू टूर्नामेंट वापस आ गया है और इस साल यह टूर्नामेंट 15 अगस्त से 11 सितम्बर के बीच खेला जाएगा.
इस साल यह टूर्नामेंट पहले की तुलना में बहुत अधिक भव्य है जिसमें भारतीय क्रिकेट के सितारे सूर्यकुमार यादव और ईशान किशन दोनों की वापसी हुई है.
आइए जानते हैं कि बुची बाबू मेमोरियल टूर्नामेंट है क्या और इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई.
बुची बाबू नायडू के नाम से मशहूर मोथावरपु वेंकट महिपति नायडू ने ब्रिटिश राज के दौरान मद्रास में क्रिकेट को आम लोगों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.
नायडू का सपना एक वार्षिक क्रिकेट मुकाबला आयोजित करने का था जिसमें मद्रास के सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों को अंग्रेजों से मुकाबला करने का मौका मिल सके.
उन्होंने 'मद्रास प्रेसीडेंसी' मैचों की शुरुआत की जिससे शहर के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अंग्रेजों के खिलाफ अपने कौशल का प्रदर्शन करने का मौका मिला.
हालांकि, वर्ष 1908 में इस टूर्नामेंट के पहले संस्करण से पहले उनके असामयिक निधन के कारण टूर्नामेंट का नाम उनके नाम पर रख दिया गया.
बुची बाबू प्रतियोगिता में भारतीय क्रिकेट के कुछ शीर्ष नाम शामिल थे और इसे घरेलू सत्र के लिए एक शुरुआत माना जाता था.
1930 के दशक में रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता शुरू होने से पहले बुची बाबू टूर्नामेंट देश का सबसे लोकप्रिय क्रिकेट आयोजन था.