Berlin Olympics: जब जापान के दो एथलीट्स ने आधा रजत और आधा कांस्य पदकर को जोड़कर जीता था 'मैत्री पदक'
1936 का ओलंपिक अपने तनावपूर्ण, राजनीतिक रूप से आवेशित माहौल के लिए जाना जाता है.
प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद विश्व समुदाय में जर्मनी की वापसी का संकेत देने के प्रयास में, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने 1931 में खेलों की मेजबानी जर्मनी को सौंप दी.
वर्ष 1933 तक नाज़ी पार्टी जर्मनी की सत्ता पर काबिज़ हो चुकी थी जिसकी नस्लवादी नीतियों के कारण खेलों का अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार हुआ. फिर भी 49 देशों ने खेल के इस महाकुम्भ में हिस्सा लेने का फैसला किया.
जहां ये 1936 बर्लिन ओलंपिक अपनी राजनीतिक उथल-पुथल के लिए कुख्यात था तो वहीं एक और ऐतिहासिक घटना के लिए भी यह चर्चा में आया.
जापान के शुहेई निशिदा और उनके साथी सूओ ओए ने भी इस ओलंपिक के पोल वॉल्ट खेल में भाग लिया था.
निशिदा और ओए दोनों ने पोल वॉल्ट प्रतियोगिता में एक ही स्पर्धा में भाग लिया. अंततः दोनों के बीच मुकाबला बराबरी पर समाप्त हुआ.
जब दोनों ने विजेता का फैसला करने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने से इनकार कर दिया, तो जापानी टीम के निर्णय के आधार पर निशिदा को रजत और ओए को कांस्य पदक से सम्मानित किया गया.
इस आधार पर कि निशिदा ने कम प्रयासों में ऊंचाई पार कर ली थी. जापान लौटने पर, निशिदा और ओए ने अपने ओलंपिक पदकों को आधे में कटवा दिया, और एक जौहरी से दो नए “मैत्री पदक” बनवाए.
ये पदक आधा चांदी और आधा कांस्य के थे. इस प्रतियोगिता को जर्मन फिल्म निर्देशक लेनी राइफेन्स्टहल द्वारा फिल्माए गए एक डाक्यूमेंट्री ‘ओलंपिया’ के एक दृश्य में दिखाया गया था.