आखिर क्यों प्राचीन ओलंपिक्स में एथलीट्स ने नग्न होकर लिया था भाग? जानिए कारण 

ओलंपिक अपनी शुरूआत से अब तक एक लंबा सफर तय कर चुका है. इन खेलों की शुरुआत 776 ईसा पूर्व में ग्रीस में हुई थी. इसकी शुरुआत ग्रीक देवता ज़ीउस के सम्मान में आयोजित एक धार्मिक उत्सव के रूप में एक पदयात्रा से हुई थी.

आधुनिक ओलंपिक के विपरीत, जहाँ एथलीट केवल पदक और सम्मान के साथ जाते हैं, प्राचीन विजेताओं को नकद पुरस्कार मिलता था. जीतने के बाद उन्हें जैतून के पत्तों से बना एक मुकुट मिलता था. इसमें कोई प्रथम, द्वितीय या तृतीय स्थान नहीं था. प्रत्येक प्रतियोगिता में केवल एक विजेता होता था.

प्राचीन दंतकथाओं के अनुसार कोरोबस नामक एक रसोइए ने 192 मीटर की पदयात्रा जीती थी, जो उस समय की एकमात्र प्रतियोगिता थी. प्राचीन खेल लगभग 12 शताब्दियों तक चले, लेकिन रोमन सम्राट थियोडोसियस ने खेलों को एक नास्तिक पंथ के रूप में देखा और 393 ईस्वी में इस पर प्रतिबंध लगा दिया.

ऐसा माना जाता है की प्राचीन ओलंपिक्स में एथलीट्स नें नग्न होकर भाग लिया था. इसके कई अलग-अलग कारण बताये जाते हैं. जानिये आखिर क्यों खिलाडियों ने नग्न होकर लिया होगा ओलंपिक्स में भाग?

ग्रीक के प्राचीन मिथक के अनुसार 720 ईसा पूर्व में ओरिसिप्पस नाम के एक ओलंपिक एथलीट 185 मीटर की दौड़ में हिस्सा ले रहे थे जब उनके कपड़े नीचे खिसक गए. मगर शर्माकर रुकने और कपड़े ठीक करने के बजाय ओरिसिप्पस दौड़ते रहे और उन्होंने रेस जीत ली. 

उनकी यह शानदार जीत एक मिसाल बन गई. माना जाता है कि इसके बाद से ग्रीस में न्यूड ओलंपिक स्पर्धा लोकप्रिय हो गई और इसे ग्रीक संस्कृति में आकाश के देवता ज़्यूस के सम्मान के रूप में देखा जाने लगा.

एथलीटों ने ग्रीक देवता ज़ीउस को श्रद्धांजलि देने के लिए नग्न होकर प्रतिस्पर्धा की. वे ज़ीउस को अपनी शारीरिक शक्ति और मांसपेशियों का प्रदर्शन करना चाहते थे. अपने शरीर को दिखाने से अन्य प्रतियोगियों को डराने में भी मदद मिली.

चूँकि ग्रीक नायकों को अक्सर कलाकृतियों और मूर्तियों में नग्न दिखाया जाता था, इसलिए इससे एथलीटों को कड़ी मेहनत करने और अपनी स्पर्धा जीतने की प्रेरणा मिली. एथलीट चाहते थे कि उनकी तुलना हरक्यूलिस और अकिलीज जैसे सच्चे नायकों से की जाए.