एक चने से लौटा मृत शरीर में प्राण, वट सावित्री व्रत की ये कथा है खास
हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस व्रत का खास पौराणिक और धार्मिक महत्व है. पंचांग के अनुसार इस साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या 06 जून को पड़ेगी.
ऐसे में इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से व्रत रखकर पूजा करेंगी. वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद की पूजा का विधान है. धार्मिक ग्रंथों में इस व्रत से जुड़ी एक प्रचलित कथा का जिक्र किया गया है.
जिसे सत्यवान और सावित्री की कथा का नाम दिया गया है. कहते हैं कि एक चने से मरे हुए शरीर में प्राण आ गया. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में.
कहते हैं कि एक चने से मरे हुए शरीर में प्राण आ गया. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में.
पौराणिक कथा के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण छीन लिए थे. जिसके बाद सावित्री ने बरगद के नीचे सत्यवान के मृत शरीर को छोड़ दिया.
फिर, बरगद से प्रार्थना करते हुए कहा कि वह उसके पति की रक्षा करे. इसके बाद सावित्री यमराज के पीछे चली गईं.
यमराज ने पहले सावित्री को डराकर अपने पीछे आने से रोका. लेकिन, सावित्रि अपने जिद्द पर अड़ी रही और यमराज का पीछा करती रही.
यमराज ने सावित्री से कहा कि वह अपने पति के प्राण को छोड़कर कोई दूसरा वरदान मांग ले. जिसके बाद सावित्री ने पहले वरदान के तौर पर अपने सास-ससुर के आंखों की रोशनी को लौटाने के लिए कहा.
इसके बाद सावित्री ने यमराज से तीन और वरदान मांगे. अंतिम वरदान में उन्होंने 100 पुत्र मांग लिए. जिसको लेकर यमराज संकट में पड़ गए.
आखिरकार यमराज को सत्यवान के प्राण वापस करने पड़े. यमराज ने सत्यवान के प्राण को एक चने के रूप में लौटाया था. सावित्री ने उस चने को सत्यवान के मुंह में डाल दिया. जिसके बाद सत्यवान जीवित हो उठा.