उड़ने वाले डायनासोरों की नई प्रजाति का चला पता, करोड़ों साल पुराना जीवाश्म मिला
जर्मनी में मिले जीवाश्म से वैज्ञानिकों ने 14.7 करोड़ वर्ष पहले पाए जाने वाले उड़ने वाले डायनासोरों की नई प्रजाति का पता लगाया है.
स्किफोसोरा बावारिका प्रजाति के ये डायनासोर फ्लाइंग रेप्टाइल्स थे जिनके पंखों का फैलाव 7-फीट तक था और स्नाउट के आगे हड्डीदार उभार व मुंह में धारदार दांत थे.
ये जुरासिक काल के अंत तक मौजूद थे. इस जीव का फेवरेट शिकार होती थी छिपकलियां या फिर छोटे चूहे जैसी प्रजाति वाले जीव.
वैज्ञानिकों ने जर्मनी में उड़ने वाले डायनासोरों की नई प्रजाति की खोज की है. उसका जीवाश्म खोजा है. यह जीवाश्म पूरी तरह से सुरक्षित है. इसकी वजह से टेरोसॉर (pterosaurs) डायनासोरों के बारे में और जानकारी मिल रही है.
इस प्रजाति को नाम दिया गया है स्किफोसुरा बावरिका (Skiphosoura bavarica). इस प्रजाति के डायनासोर पक्षी जुरासिक काल के अंत समय में मौजूद थे.
यह लंबी पूंछ वाले छोटे टेरोसॉरस डायनासोरों के शरीरिक बदलाव वाली स्पीसीज थी. 8 करोड़ साल पहले क्रेटासियस काल में ये Quetzalcoatlus नाम के जीव के पूर्वज बने. इनके विंग्स आज के F-16 फाइटर जेट जितने लंबे थे.
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद डेविड होन ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण खोज है. जिसकी स्टडी हाल ही में करेंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है. स्किफोसुरा बावरिका हमें टेरोसॉर पक्षियों के बारे में ज्यादा जानकारी प्रदान कर रहा है.
इस पक्षी को स्वॉर्ड टेल ऑफ बावरिया भी बुलाते आए हैं. इसकी पूंछ छोटी और नुकीली होती थी. इसके जीवाश्म की खोज 2015 में हुई थी लेकिन तब से लगातार इसकी स्टडी चल रही थी.
इसके विचित्र ढांचे की वजह से वैज्ञानिकों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी. ताकि यह पता चल सके कि यह किस प्रजाति का डायनासोर है.