अमरनाथ में बाबा बर्फानी से जुड़े कई रहस्य ऐसे हैं, जिनका पता आजतक नहीं चल पाया है

इन्हीं रहस्यों में से एक यहां बनने वाले शिवलिंग का आकार है

कहा जाता है कि यह दुनिया  का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जोकि चंद्रमा की रोशनी के चक्र के साथ बढ़ता और घटता है

माना जाता है कि अमरनाथ गुफा का दर्शन सबसे पहले महर्षि भृगु ने किया था, उस समय समूची कश्मीर घाटी जलमग्न हो गई थी

शिव-पार्वती की अमरकथा सुनने वाले अमर हो चुके कबूतर के जोड़े को भी देखने की बात कही जाती है

मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से महामाया शक्तिपीठ भी इसी गुफा में स्थित है. मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी सती का कंठ गिरा था

मां पार्वती को कथा सुनाने से पहले भगवान शिव ने नंदी समेत अपने सभी गणों का त्याग कर दिया था

पहलगाम ही वह जगह है जहां भगवान शिव ने अपनी सवारी नंदी को छोड़ा था

वहीं शेषनाग झील पहुंचकर भगवान के आभूषण कहे जाने वाले सांपों को भी उतार दिया था

अपने पुत्र गणेश को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ दिया था

कहा जाता है कि तकरीबन 3 से 4 सौ साल पहले एक चरवाहे ने इस गुफा की खोज की थी

दरअसल, वह एक संत की खोज में निकला था, जिसने उसे कोयले से भरी पोटली दी थी, लेकिन घर पहुंचने पर वह सोने में बदल गई थी