EVM मशीन कैसे करती है काम, क्या इसे किया जा सकता हैक?
भारत में EVM के जरिए ही चुनावी प्रक्रिया पूरी होती है. लेकिन कई लोगों के मन में इसके हैक होने का शक भी रहता है.
1982 में भारतीय चुनाव आयोग ने चुनाव के लिए पहली बार EVM का इस्तेमाल किया था.
अब बैलेट पेपर की जगह EVM का ही इस्तेमाल किया जाता है. EVM का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है.
EVM का इस्तेमाल वोटिंग के लिए किया जाता है. इससे ना केवल वोटिंग होती है, बल्कि वोट भी स्टोर होते रहते हैं.
काउंटिंग वाले दिन चुनाव आयोगा EVM मशीन में पड़े वोटों की गिनती करता है. जिसे ज्यादा वोट मिलते हैं उसे विजेता घोषित किया जाता है.
EVM मशीन कंप्यूटर से कंट्रोल नहीं होती हैं. ये स्टैंड अलोन मशीन होती हैं.
जो इंटरनेट या किसी दूसरे नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होती हैं. इसलिए ये हैकिंग से पूरी तरह सुरक्षित हैं.
इसके अलावा ईवीएम में डेटा के लिए फ्रीक्वेंसी रिसीवर या डिकोडर नहीं होता है. इसलिए किसी भी वायरलेस डिवाइस, वाई-फाई या ब्लूटूथ डिवाइस से इसमें छेड़छाड़ करना संभव नहीं है.
वोटिंग के बाद EVM को चुनाव आयोग कड़ी सुरक्षा के बीच रखता है. इन्हे सीलबंद कर दिया जाता है और गिनती के दिन ही खोला जाता है.