भारत द्वारा अटारी बॉर्डर को बंद करने के फैसले के बाद यह सवाल उठ रहा है कि इसका असर दोनों देशों के व्यापार पर किस तरह पड़ेगा.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने यह सख्त कदम उठाया है. 

अटारी बॉर्डर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का एकमात्र ज़मीनी रास्ता है. इसी के ज़रिए दोनों देशों के बीच सामानों की आवाजाही होती थी.

भारत इस रास्ते से पाकिस्तान को सोयाबीन, मुर्गियों का चारा, हरी सब्जियां, प्लास्टिक से बने दाने, यार्न, लाल मिर्च जैसी चीजें भेजता था.

यह चेकपोस्ट सिर्फ भारत और पाकिस्तान के आपसी व्यापार के लिए ही नहीं, बल्कि अफगानिस्तान से भारत आने वाले माल के लिए भी एक अहम मार्ग रहा है.

वहीं, पाकिस्तान और अन्य देशों से भारत में सूखे मेवे, खजूर, सीमेंट, जिप्सम, सेंधा नमक, शीशा और औषधीय जड़ी-बूटियों का आयात इसी रूट से होता रहा है.

वित्त वर्ष 2023-24 में इस सीमा से करीब 6,871 मालवाहक गाड़ियां गुज़रीं और लगभग 71,563 यात्रियों ने इस मार्ग से आना-जाना किया. इस दौरान करीब 3,886.53 करोड़ रुपये का कुल व्यापार हुआ.

अब जब यह पोर्ट बंद हो गया है, तो इसका सीधा असर उन व्यापारियों और कंपनियों पर पड़ेगा जो इस रूट पर निर्भर थे. खासकर छोटे व्यापारी इसकी मार ज्यादा महसूस करेंगे

इसके साथ ही, भारत और अफगानिस्तान के बीच जो सामान पाकिस्तान होते हुए आता-जाता है, वह भी अब प्रभावित होगा.

रास्ता बंद होने से माल ढुलाई में देरी और लागत बढ़ने की आशंका है, जिससे लॉजिस्टिक सेक्टर पर भी दबाव बढ़ेगा.