128 साल पहले 2 भाइयों ने 1 रुपए में बेचा टिकट, फिर हुआ सिनेमा का जन्म
भारत में सिनेमा के प्रति लोगों की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है. जितनी रोचक फिल्में होती हैं, इनकी शुरुआत का इतिहास भी उतना ही रोचक है.
पहली बार साल 1896 की 7 जुलाई को मुंबई (तब बॉम्बे) के वॉटसन होटल में एक साथ 6 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया था.
टिकट की कीमत थी 1 रुपया और एक अंग्रेजी अखबार ने इस घटना को सदी का चमत्कार करार दिया था.
फिल्मों के इसी पहले प्रदर्शन को भारतीय सिनेमा का जन्म माना जाता है. आइए इस घटना की वर्षगांठ पर जान लेते हैं पूरा किस्सा.
बॉम्बे के एक अंग्रेजी अखबार में 7 जुलाई 1896 को एक विज्ञान छापा गया था.
इस विज्ञापन के जरिए शहरवासियों को शताब्दी की महानतम उपलब्धि और दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार देखने के लिए वॉटसन होटल में बुलाया गया था.
इस विज्ञापन के अनुसार शाम को चार अलग-अलग टाइम पर इस चमत्कार को देखने के लिए लोगों को हॉल में पहुंचने के लिए हर शो के लिए एक रुपया देकर टिकट खरीदना था.
लोग टिकट लेकर अंदर गए तो उन्हें शाम को चार से 10 बजे तक फिल्मों के शो देखने को मिले, जिनमें अराइवल ऑफ ए ट्रेन सबसे भयानक फिल्म थी.
यह भारतीय उपमहाद्वीप में फिल्म की पहली प्रदर्शनी थी, जो मुंबई में शुरू हुई थी और आज वही मुंबई दुनिया के सबसे बड़े फिल्म निर्माण केंद्रों में शामिल है.
इन फिल्मों का निर्माण करने वाले और भारत लाने वाले थे फ्रांसीसी भाई लुई लुमियर और अगस्त लुमियर.
उनकी कंपनी का नाम था सिनेमैटोग्राफी, जिसका इस्तेमाल आज भी फिल्मों में होता है.
बॉलीवुड नाम की एक किताब है, जिसके लेखक हैं मिहिर बोस. इसमें उन्होंने लिखा है कि लुई और अगस्त ने 28 दिसंबर 1895 को सबसे पहले अपने देश में पेरिस के ग्रैंड कैफे में फिल्में दिखाई थीं.
उसमें सफलता मिली तो लंदन पहुंचे और रीजेंट स्ट्रीट पर अपने इस नए आविष्कार यानी फिल्मों का प्रदर्शन किया था.