सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी जीवों की 3722 प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा, जानिए कारण
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के ग्लोब इंस्टीट्यूट से जुड़े शोधकर्ताओं के ताजा अध्ययन में हुआ खुलासा.
विलुप्त हो सकती हैं जीवों की तीन हजार से भी अधिक प्रजातियां.
तूफ़ान, भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी प्रभावित क्षेत्रों में पाई जाने वाली प्रजातियों पर है सबसे अधिक खतरा.
34,035 प्रजातियों पर हुए अध्ययन में 10 फीसदी प्रजातियां प्राकृतिक आपदा के कारण खतरे में हैं. जबकि 5.4 फीसदी प्रजातियों पर उच्च जोखिम मंडरा रहा है.
खतरे में पड़ी इन प्रजातियों में पक्षियों की 5.7, स्तनधारियों की 7, उभयचरों की 16 और सरीसृपों की 14.5 फीसदी प्रजातियां शामिल हैं. यह प्रजातियां मुख्य रूप से द्वीपों और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं.
शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदा है इस समस्या का मुख्य कारण.
अध्ययन से जुड़े वरिष्ठ शोधकर्ताओं का कहना है कि इनमें से आधी प्रजातियां प्राकृतिक आपदाओं के कारण विलुप्त होने के उच्च जोखिम से जूझ रही हैं.
इनमें से कई प्रजातियां उष्णकटिबंधीय द्वीपों पर पाई जाती हैं, जहां इंसान पहले ही कई प्रजातियों के विलुप्त होने की वजह बन चुके हैं.
यदि इन प्रजातियों को बचाना है तो उनके क्षेत्र में इंसानी हस्तक्षेप कम से कम होना चाहिए. हमें याद रखना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन भी मानवीय कारगुजारी का परिणाम है.