एक ऐसा समुदाय जो पूरे शरीर पर गुदवाता है 'राम का नाम', जानिए क्या है ये परंपरा
भगवान राम के दीवाने तो दुनियाभर में मौजूद हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी राम के प्रति दिवानगी देखने लायक है.
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के रहने वाले एक समुदाय 'रामनामी' की.
इस समुदाय के लोगों के रोम-रोम में भगवान राम का नाम बसता है. राम की भक्ति इनके अंदर ऐसी है कि उनके पूरे शरीर पर 'राम' नाम का टैटू गुदा हुआ है.
जो लोग माथे पर रामनाम गुदवाते हैं उन्हें 'सर्वांग रामनामी' कहा जाता है. वहीं अगर कोई पूरे शरीर पर राम नाम गुदवाते हैं तो उन्हें 'नखशिख' कहा जाता है.
शरीर के हर अंग पर राम का नाम, शरीर पर रामनामी चादर, मोर पंख की पगड़ी और सिप पर घुंघरू इन रामनामी लोगों की पहचान मानी जाती है.
रामनामी संप्रदाय के लिए राम का नाम उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन यह समाज कभी मंदिर नहीं जाता और कभी किसी मूर्ति की पूजा नहीं करता है.
इस समुदाय के लोग इस मनुष्य रूपी शरीर को ही अपना मंदिर मानते हैं. वे लोग अभिवादन भी राम का नाम लेकर ही करते हैं. इनके बीच राम नाम गुदवाने की परंपरा लंबे समय से चलीं आ रही है.
इसके पीछे समाज की एक बड़ी बगावत की कहानियां जुड़ी गुई हैं. बताया जाता है कि एक समय में यहां ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज का बहिष्कार करते हुए मंदिरों में प्रवेश बंद कर दिया था.
इसके बाद विरोध जाताते हुए इन लोगों ने भगवान राम के नाम को पूरे शरीर में लिखवा कर विरोध शुरू किया. इस समाज की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा के एक छोटे से गांव चारपारा में हुईं थी.
कहा जाता है कि इस समाज की स्थापना 1890 के आसपास एक सतनामी युवक परशुमार ने की थी. हालांकि कुछ ऊंची जाति के लोगों ने उन्हें सताना शुरू कर दिया. इस पर साल 1912 में परशुराम और उनके अनुयायियों ने ब्रिटिश कोर्ट में अपील की.