आखिर कौन है ये अनोखा प्रत्याशी, जिसने अर्थी पर बैठकर किया नामांकन
राजनीति में सत्ता की चाह नेताओं को क्या-क्या नहीं करा देती. ऐसे ही एक नेता हैं एमबीए पास राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा.
बाबा सत्ता की चाह में कई साल से श्मशान घाट पर हर चुनाव में अपना कार्यालय खोलते हैं और हर चुनाव में भाग्य भी आजमाते हैं.
अर्थी पर बैठकर नामांकन भी करने जाते हैं. आत्माएं उनकी पोलिंग एजेंट होती हैं.
यह अलग बात है कि उन्हें अभी तक किसी भी चुनाव में सफलता का स्वाद चखने को नहीं मिला है.
अर्थी बाबा जनता की सेवा के लिए एक अवसर चाहते हैं, इसलिए इस बार के लोकसभा चुनाव में पर्चा भरने से पहले उन्होंने श्मशान घाट पर ही अपना कार्यालय खोल दिया है.
एमबीए पास और गृहस्थ जीवन को त्यागकर भंते बन चुके राजन यादव उर्फ़ अर्थी बाबा, जिन्होंने अभी तक एमएलए, एमएलसी और एमपी के चुनाव में अपनी अनोखी कार्यशैली से पहचान बनाई है.
भंते राजन यादव उर्फ़ अर्थी बाबा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ भी चुनाव लड़ने का दावा करते हैं. हालांकि इन चुनाव में इन्हें जीत हासिल नहीं हुई.
इन्होंने गोरखपुर राजघाट श्मशान के गोरखनाथ घाट पर अपना चुनावी कार्यालय खोला है. वे कहते हैं कि इसकी वजह है कि लोकतंत्र का जनाजा निकल चुका है.
कार्यालय खोलने के पूर्व अर्थी बाबा ने श्मशान घाट पर मौजूद लोगों से समर्थन माँगा और अर्थी पर बैठकर प्रचार भी किया
अर्थी बाबा ने बताया कि वो पिछले कई सालो से जनता की सेवा कर रहे हैं. यहाँ पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. वह अपने संघर्षों के आधार पर वो जनता से वोट मांग रहे हैं.