आखिर RBI के दफ्तर के मेन गेट पर किनकी लगी हैं मूर्तियां? जानें इसका महत्व

भारतीय रिजर्व बैंक दुनिया के मजबूत केंद्रीय रेगुलेटरी बैंकों में से एक है. लेकिन जब आप दिल्ली के RBI के दफ्तर में जाते हैं तो उसके मेन गेट पर दो मर्तियां लगी हुई है. 

क्या आप जानते हैं कि भारतीय मुद्रा को संभालने और चलाने वाले रिजर्व बैंक को अपने मुख्य द्वार पर दो यक्षों की जरूरत क्यों पड़ गई. आखिर ये यक्ष कौन है और भारतयी समृद्धि और दौलत में वो क्या मतलब रखते हैं. चलिए जानते हैं. 

भारतीय रिजर्व बैंक की इमारत के प्रेवश द्वार पर एक पुरुष और एक महिला की 2 बड़ी भव्य मूर्तियां है जो अपने हाथ में पैसों से भरा एक थैला पकड़े हुए है. 

ये यक्ष और यक्षिणी है जो धन और समृद्धि के देवता है. वो भारत के सेंट्रल बैंक के द्वार के लिए सबसे सटीक द्वारपाल है. दिल्ली के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वार पर बाहर ये बड़े आकार की प्रतिमाएं 1960 में स्थापित की गईं थीं. 

इसे प्रसिद्ध मूर्तिकार राम किंकर बैज ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों से प्रेरणा लेकर बनाया था. इन मूर्तियों को बनाने में 12 साल (1955 से 1967) लगे थे. 

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, 'यक्ष' और 'याक्षी' अवतार थे जो कुबेर के खजाने की रक्षा करते थे.

मथुरा के प्रसिद्ध बौद्ध स्तूपों के चारों ओर कई यक्षी आकृतियां उकेरी गईं. जैन धर्म में भी यक्षणियों का महत्व था. 

24 तीर्थंकरों में हर एक के साथ एक यक्ष जुड़ी हुई थी जिनमें सबसे प्रमुख अंबिका थी जो 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ की यक्षिणी थी. जैन गुफाओं और मंदिरों में यक्षिणियों की कई नक्काशी और मूर्तियां पाई जाती है.