आखिर क्यों अंग्रेजों ने राष्ट्रपति भवन बनाने के लिए चला दी थी स्पेशल ट्रेन? जानें

आज के वक्त राष्ट्रपति भवन भारत के महामहिम राष्ट्रपति का निवास स्थान होता है, जहां वो पूरे परिवार के साथ रहती हैं. 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे अंग्रेजों के जमाने में व्हाइसरॉय हाउस कहा जाता था. इन भवन को बनने में उस समय 17 साल लगे थे. 

राष्ट्रपति भवन में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. इसके अंदर म्यूजियम, सेरिमोनी हॉल, बड़े गार्डन, स्टॉफ के रहने की जगह मौजूद है. 

इतना ही नहीं इसमें  300 कमरे, बॉल रूम, गेस्ट रूम आदि सब मौजूद है. आपको बता दें कि ये भवन इतना विशाल है कि इसे पूरा घूमने के लिए आपको एक दिन कम पड़ सकता है. 

आज का राष्ट्रपति भवन और अंग्रेजों के समय कहे जाने वाले व्हाइसरॉय हाउस को बनने में 17 साल का समय लगा था. 

उस वक्त इसमें जिस तरह का आर्किटेक्चर का इस्तेमाल हुआ है, ऐसा कम ही जगहों पर देखने को मिलता है. 

इस भवन के निर्माण की शुरूआत 1912 में हुई थी और इसे बनने में 1929 तक का समय लगा था. जानकारी के मुताबिक इसे बनाने के लिए 29 हजार मजदूर लगे थे.

अब आप सोच रहे होंगे कि राष्ट्रपति भवन के निर्माण के लिए स्पेशल ट्रेनों का संचालन क्यों किया गया था? बता दें कि राष्ट्रपति भवन के निर्माण में 700 मिलियन ईंटों का इस्तेमाल किया गया है. 

वहीं 3 मिलियन क्यूबिक फिट पत्थर भी इस्तेमाल हुए हैं. राष्ट्रपति भवन के निर्माणकर्ता ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुट्यन्स थे, उस समय उन्होंने इसके लिए स्पेशल ट्रेन भी चलवाई थी. 

जिससे राजस्थान समेत अन्य क्षेत्रों से पत्थर और अन्य कीमती सामग्री आ सके. राष्ट्रपति भवन के निर्माण के लिए लंबे समय तक स्पेशल ट्रेनों का संचालन हुआ था.