आखिर दिल्ली में क्यों नहीं मुमकिन है क्लाउड सीडिंग? जानें इसके पीछे की वजह
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग करना कई कारणों से मुश्किल है. सबसे बड़ा कारण है दिल्ली में उच्च प्रदूषण स्तर.
दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है और यहां के वायु प्रदूषण का असर क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया पर पड़ता है.
क्लाउड सीडिंग में आमतौर पर सिल्वर आयोडाइड या अन्य रसायनों को बादलों में डाला जाता है ताकि वे पानी को आकर्षित कर सकें.
हालांकि, दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण बादल ठीक से विकसित नहीं हो पाते और उनका घना होना मुश्किल हो जाता है. इसका मतलब है कि क्लाउड सीडिंग का असर सीमित हो सकता है.
इसके अलावा, क्लाउड सीडिंग के लिए मौजूदा मौसम की स्थिति भी जरूरी होती है. बादल पहले से मौजूद होने चाहिए, ताकि उन पर प्रभाव डाला जा सके.
दिल्ली का मौसम गर्म, आर्द्र (Humid) और धूल से भरा होता है, जिससे बादल बनना और बारिश होना कठिन हो जाता है.
जब बादल पर्याप्त नहीं होते या उनकी स्थिति सही नहीं होती, तो क्लाउड सीडिंग बेकार हो सकती है.
गर्मी के मौसम में दिल्ली की हवा में बहुत ज्यादा धूल और प्रदूषण होता है, जिससे बादल बनने की संभावना कम हो जाती है.
जलवायु परिवर्तन और अनियमित मानसून भी क्लाउड सीडिंग के प्रभावी होने पर असर डालते हैं.
इसके अलावा, दिल्ली में क्लाउड सीडिंग कराने में बहुत ज्यादा खर्च होता है, जो सरकार के लिए एक और चुनौती है. इन सभी कारणों से दिल्ली में क्लाउड सीडिंग करना संभव नहीं हो पाता है.