पाकिस्तान के साथ-साथ इन देशों में भी हैं शक्तिपीठ, मुस्लिम भी रखते हैं आस्था
पाकिस्तान का हिंगलाज माता मंदिर देवी का सिद्ध मंदिर हैं, जिसपर हिंदुओं के अलावा स्थानीय मुस्लिमों की भी आस्था बताई जाती है. इसी तरह से मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश में भी देवी के शक्तिपीठ हैं.
वहीं पड़ोसी देश नेपाल, तिब्बत और श्रीलंका तक माता के मंदिरों के अलावा सिद्ध पीठ भी हैं, जहां हर साल नवरात्र पर आस्तिकों का हुजूम उमड़ता है. चलिए जानते हैं...
श्रीलंका में लंका शक्तिपीठ है. जाफना के नल्लूर में स्थित इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहां देवी सती की पायल गिरी थी. यहां की शक्ति को इन्द्राक्षी कहा जाता है.
तिब्बत में मानस शक्तिपीठ- यहां सती की बाईं हथेली गिरी थी. इस शक्तिपीठ को काफी प्रभावशाली माना जाता है और न केवल नवरात्र, बल्कि साल के सभी मौसमों में यहां भक्तों की भीड़ रहती है.
नेपाल के काठमांडू में एक शक्तिपीठ है, जिसे गुजयेश्वरी मंदिर पीठ कहा जाता है. मान्यता है कि यहां देवी सती के दोनों घुटने गिरे थे. यहां की शक्ति को महाशिरा कहा जाता है.
इसके अलावा नेपाल में एक और शक्तिपीठ है, जिसे गंडकी शक्तिपीठ कहते हैं. यहां सती का कपोल गिरा माना जाता है. यहां की देवी को गंडकी कहते हैं.
पड़ोसी मुस्लिम-बहुल देश बांग्लादेश में देवी के चार शक्तिपीठ स्थित हैं. जिसमें से एक पीठ उग्रतारा देवी का मंदिर है, जहां देवी की नासिका यानी नाक गिरी मानी जाती है. यहां की देवी को सुनंदा कहा जाता है.
इसी देश में करतोयाघाट शक्तिपीठ है. यहां देवी सती के बाएं पैर की पायल गिरी मानी जाती है. इस मंदिर को अपर्णा शक्तिपीठ भी कहते हैं. यहां की देवी अपर्णा के रूप में पूजी जाती हैं.
बांग्लादेश में ही देवी का एक और पीठ है, जिसे यशोरेश्वरी शक्तिपीठ कहते हैं. यहां देवी सती की बाईं हथेली गिरी बताई जाती है. इस जगह काली पूजा होती है.
एक और शक्तिपीठ बांग्लादेश के चटगांव में है, जिसे चट्टल का भवानी शक्तिपीठ कहते हैं. माना जाता है कि यहां माता सती की दाहिनी भुजा गिरी थी.