भारत में एक राज्य ऐसा भी है जिसकी फिलहाल कोई राजधानी नहीं है. वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश राज्य के विभाजन के बाद एक नया राज्य तेलंगाना अस्तित्व में आया.
आंध्र प्रदेश की तत्कालीन राजधानी हैदराबाद अब तेलंगाना के हिस्से में आ चुकी है लेकिन हैदराबाद को अगले 10 वर्षों के लिए दोनों राज्यों की साझा राजधानी बनाया गया.
आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कृष्णा नदी के किनारे बसे अमरावती को प्रदेश की नयी राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा. नायडू ने किसानों से 33,000 एकड़ जमीन खरीदी और शहर के निर्माण के लिए सिंगापुर की एक कंपनी को शामिल किया.
लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी चुनाव हर गयी और वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी नए मुख्यमंत्री बनें. रेड्डी ने सभी परियोजनाओं को रोक दिया और नई राजधानी के बजट को कम कर दिया.
वाईएसआरसीपी प्रमुख ने इसके बजाय तीन राजधानी शहरों की योजना बनाई. यह एक ऐसा मुद्दा बन गया जो कानूनी हेरफेर में पड़ गया और सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा.
नायडू ने इस वर्ष चुनाव जीतकर एक बार फिर सत्ता में वापसी की और जून में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की पूर्व संध्या पर उन्होंने पुष्टि की कि अमरावती राज्य की नई राजधानी होगी.
मुख्यमंत्री ने बताया कि विशाखापट्नम राज्य की आर्थिक राजधानी होगी और इसको एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित किया जाएगा. आंध्र प्रदेश ने अमरावती के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार से सहयोग भी मांगा है.
केंद्र सरकार ने भूमि की सभी बिक्री के लिए पूंजीगत लाभ छूट प्रदान की थी और आंध्र प्रदेश की राजधानी के लिए स्वीकृत 2,500 करोड़ रुपये में से 1,500 करोड़ रुपये जारी किए थे.
हैदराबाद को साझा राजधानी बनाने की समय सीमा भी 2 जून, 2024 को समाप्त हो गई, और तब से आंध्र प्रदेश बिना राजधानी के चल रहा है.
उम्मीद है कि नई राजधानी जल्द बन कर तैयार हो जाएगी. लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तकनीकी रूप से आंध्र प्रदेश की अपनी कोई राजधानी नहीं है.