हाल ही में दक्षिण कोरिया के एक विमान दुर्घटना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. विमान में सवार 181 लोगों में से 179 की मौत हो गई, जबकि 2 लोग किसी तरह जीवित बच गए.

फ्लाइट में यात्रा करते समय अक्सर हमारे मन में सवाल आता है कि आखिर प्लेन की किस सीट पर बैठे थे? क्या वो सीट प्लेन की सबसे सुरक्षित सीट होती है? आइए आपको बताते हैं.

1971 से 2005 के बीच हुए विमान हादसों पर रिसर्च करने वाली पॉपुलर मैकेनिक्स मैगजीन के अनुसार हादसे के दौरान पीछे की सीट पर बैठे यात्रियों के बचने की संभावना 40% अधिक है.

दरअसल प्लेन के आगे का हिस्सा बिजनेस क्लास और फर्स्ट क्लास के लिए रिजर्व होता है, वहीं बीच और पीछे के हिस्से में इकॉनमी क्लास देखने को मिलता है, जिसकी टिकट भी सस्ती होती हैं.

इसके उलट अगली सीटें अक्सर ज्यादा जोखिम में होती हैं क्योंकि वे टक्कर या क्रैश लैंडिंग के समय सबसे पहले इफेक्ट होती हैं.

फ्लाइट के पिछले हिस्से में बैठने वाले यात्रियों को पीछे के इमरजेंसी एग्जिट के पास होने की वजह से जल्दी निकाले जाने का फायदा मिलता है.

हालांकि अगर क्रैश के दौरान फ्लाइट का पिछला हिस्सा पहले जमीन से टकराती है तो पिछले हिस्से में बैठने वाले यात्रियों के लिए खतरा बढ़ जाता है.

फ्लाइट में सेंटर वाले हिस्से को भी सुरक्षित माना जाता है खासकर यदि ये इमरजेंसी एग्जिट के पास हो.

हालांकि पंखों के पास बैठने वाले यात्रियों के लिए ईंधन टैंक विस्फोट का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि पंखों में ईंधन भरा होता है.

वैसे विमान यात्रा अब भी सबसे सुरक्षित है, लेकिन इसके जोखिम क्रैश की स्थिति, ह्यूमन एरर और तकनीकी विफलताओं पर निर्भर करते हैं.