तेलंगाना की हैदराबाद सीट से BJP कैंडिडेट माधवी लता पर मुस्लिम महिला वोटरों के साथ गलत व्यवहार का आरोप लगा.

दरअसल चौथे चरण के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें माधवी मुस्लिम महिलाओं के चेहरे से बुर्का हटाकर फोटो आईडी से उसका मिलान करती दिख रही हैं. 

माधवी के खिलाफ IPC की धाराओं 171C (चुनाव में अनुचित प्रभाव), 186 (लोक सेवक के काम में बाधा डालना), 505(1)(C) (उकसाने का इरादा) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 132 (मतदान केंद्र पर कदाचार) के तहत केस दर्ज हुआ है.

इस मामले की सफाई देते हुए माधवी लता ने कहा कि कानून के मुताबिक मुझे अपने इलाके वोटर्स के आईडी कार्ड और उनका चेहरा देखने का अधिकार है. मैं पुरुष नहीं, महिला हूं.

जानें क्या कहते हैं मतदाताओं की पहचान वेरीफाई करने की जिम्मेदारी और अधिकार चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार का नहीं, बल्कि चुनाव आयोग का है. 

चुनाव आयोग 'फ्री एंड फेयर' चुनावों की बात करता है. इसका एक हिस्सा यह भी है कि कोई फर्जी वोट न पड़े. 

अगर जरूरी हो तो मतदान अधिकारी के पास ये हक है कि वो वोटर कार्ड की फोटो और मतदाता के चेहरे का मिलान कर सके. 

बुर्का या घूंघट में चेहरा ढंककर पहुंची महिला मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा हो सके, साथ ही फेयर इलेक्शन हो, इसके लिए Election Commission ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. 

इसके मुताबिक, अगर किसी पोलिंग स्टेशन पर काफी संख्या में चेहरा ढंककर महिला मतदाता पहुंच रही हों तो अधिकारियों को उनकी पहचान के लिए खास व्यवस्था करनी चाहिए.

नियम कहता है कि जहां भी चेहरा ढंके हुए महिला वोटर आ रही हों, वहां कम से कम एक महिला पोलिंग अफसर जरूर हो.