एक बार मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद क्या फिर से बन सकते हैं हिंदू? यहां जानें
बता दें कि धर्म बदलने का दो तरीका होता है. इसमें पहवा कानूनी तौर पर धर्म बदलना और दूसरा धार्मिक स्थल पर जाकर धर्म बदलना है.
सबसे पहले धर्म को बदलने का एक एफिडेविट बनवाना होता है. इसे शपथपत्र भी कहते हैं. इसे कोर्ट में वकील तैयार करवा देता है.
इसमें अपना बदला हुआ नाम, बदला हुआ धर्म और एड्रेस लिखना होता है. इसमें एड्रेस प्रूफ और पहचान पत्र भी देना होता है.
इसे नोटेरी अटेस्ट करवाया जाता है. इसके बाद फिर किसी राष्ट्रीय दैनिक अखबार में अपने धर्म परिवर्तन की जानकारी का विज्ञापन प्रकाशित करना होता है.
वहीं सरकारी तौर पर इसे दर्ज करने के लिए गजट ऑफिस में आवेदन करना होता है. हर प्रदेश का अपना गजट ऑफिस होता है. आमतौर पर ये काम जिलाधिकारी कार्यालयों से होता है.
इसमें कई डाक्यूमेंट्स और पासपोर्ट साइज की फोटो लगती है. आवेदन करने के बाद सरकारी प्रक्रिया पूरी होने में 60 दिन का समय लग सकता है. वहीं नया नाम धर्म के साथ गजट में दर्ज हो जाता है.
वहीं जैसे ही गजट में बदला हुआ नाम आ जाता है. समझ लीजिए आप आधिकारिक तौर पर मनचाहे धर्म में शामिल हो चुके हैं.
हर धर्म के धार्मिक स्थल और संस्थान अपने हिसाब से कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. अगर कोई हिंदू धर्म ग्रहण करना चाहता है, तो इसके लिए आधिकारिक तौर पर मंदिर में कोई सिस्टम नहीं है.
इसके लिए मंदिर के पुजारी इच्छुक शख्स का शुद्धिकरण संस्कार करके उसे हिंदू बना सकते हैं. सांस्थानिक तौर पर विश्व हिंदू परिषद और आर्य समाज मंदिर हिंदू धर्म ग्रहण करने के लिए बेहतर हैं.
कोई भी व्यक्ति विश्व हिंदू परिषद या आर्य समाज के मंदिर में जाकर हिंदू धर्म स्वीकार करने की इच्छा जता सकता है.
इसके लिए पूजा-पाठ का एक प्रोटोकॉल बनाया गया है. इसका पालन करने के बाद कोई भी शख्स हिंदू धर्म में शामिल हो सकता है.