बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने गुरुवार (17 अक्टूबर) को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया.
उन पर हालिया जन प्रदर्शनों के दौरान "मानवता के खिलाफ अपराध" करने का आरोप है, जिसके चलते उन्हें सत्ता से हटाया गया था.
अब सवाल यह है कि क्या ढाका शेख हसीना को भारत से प्रत्यर्पित करने की मांग कर सकता है? जी हां. भारत और बांग्लादेश ने 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे.
इसे 2016 में संशोधित किया गया था ताकि दोनों देशों के बीच अपराधियों के आदान-प्रदान को आसान और तेज बनाया जा सके.
इस संधि के तहत दोनों देशों को उन व्यक्तियों को सौंपना होता है जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिन्हें दोषी पाया गया है या जो किसी अपराध के लिए वांछित हैं.
संधि के अनुसार, प्रत्यर्पण योग्य अपराध वो हैं, जिसमें कम से कम एक साल की सजा मिली हो. इसमें वित्तीय अपराध भी शामिल हैं.
हालांकि, संधि यह भी कहती है कि अगर अपराध "राजनीतिक प्रकृति" का हो, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है.
शेख हसीना एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, इसलिए वे भारत में राजनीतिक शरण मांगने का दावा कर सकती हैं.
लेकिन जिन अपराधों का वे सामना कर रही हैं, वे संधि में राजनीतिक अपराधों की श्रेणी में नहीं आते हैं. उनके खिलाफ हत्या और यातना जैसे अपराध शामिल हैं.
तो क्या भारत को शेख हसीना को वापस भेजना पड़ेगा? दरअसल संधि में प्रत्यर्पण से इनकार करने के भी कुछ आधार दिए गए हैं.
संधि के अनुच्छेद 7 के अनुसार, प्रत्यर्पण अनुरोध तब अस्वीकार हो सकता है जब व्यक्ति पर उस देश की अदालत में मुकदमा लंबित हो. हालांकि, यह शेख हसीना पर लागू नहीं होता.
भारत के पास शेख हसीना के प्रत्यर्पण को इस आधार पर अस्वीकार करने का विकल्प है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप “न्याय के हित में सद्भावनापूर्ण नहीं हैं”.
हालांकि इससे बांग्लादेश की नई सरकार के साथ भारत के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है.